मेरे पेरेंट्स आज़ाद ख़यालों के थे इसलिए उन्हों ने कह दिया था कि मैं जिसे चाहे पसंद करके शादी कर लूँ.कभी कभी मैं सोचती कि क्या वो भी मुझे चाहता होगा? जिसके धक्के खाकर तो मेरी हालत पतली हो गयी. BFSex वो सब जो हमारे बीच उस कॅबिन मे हुआ वो सब खेल था. वो पोधो पर झुका हुआ उनकी कटिंग कर रहा था. उपर आते आते मेरे होंठ उसकी टाँगों के जोड़ तक पहुँच गये. शायद उसे तो मेरे बदन से खेलने मे अच्छा लगता था इसलिए उसने मुझे उसे किया. आज मैं इतनी उत्तेजित थी कि ज़रूरत पड़ने पर अरुण को रेप भी करने को तैयार थी.“देखो ये कितने बेताब हैं तुम्हारे होंठों के. मैं उसके वजन को अपने हाथों और पैरों के बल सम्हल नही पाई और मैं भी उसके बदन के नीच ढेर हो गयी. क्या अब भी तुम्हे लगता है कि हमारे बीच किसी तरह की कोई दीवार है?”उसके होंठ मेरे स्तनो पर फिर रहे थे.“ब्रा खोल्दो” मैने उसके कानो मे फुसफुसाते हुए कहा. हम दोनो पसीने से लथपथ हो रहे थे. फिर तो उसने खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए.












