मेरी ऊँगली ने ना जाने कैसे खुद ही उसके गाण्ड के छेद तक का सफर तय कर लिया और अगले ही पल बिना किसी चिकनाई के मैं अपनी बीच वाली ऊँगली एक झटके में उसकी सिकुड़ती गाण्ड के छेद में पेलता चला गया.. उफ़्फ़.. XXX Hindi लाल लेस वाली कच्छी पहने हुए अपने भतीजे को मुठ मारते हुए देख रही थी। गोरी जाँघे.. लेकिन उसके गले के नमकीन स्वाद के सामने उन रेशमी बालों की हैसियत क्या थी।मै उसके कानों के लवो को अपने होंठो के बीच लेके उसे किसी टॉफी की तरह चूसने लगा.. अब मैं चाची के गले को उसके नंगे कंधे से लेके उसके ठोढ़ी तक अपने खुरदरे जीभ से चाटने लगा था..चाची पूरी जोर आजमाइश करते हुए छूटने की प्रयास में जुटी हुई थी और साथ ही साथ मैं उसके जिस्म में हल्की सिहरन भी महसूस कर पा रहा था.. सस्स.. मेरी सोच कहीं और थी। मैं अपने हाथों को बुआ के पूरी तरह गीली कच्छि में महसूस कर रहा था। मैं बुआ के रसीले.. कोई आजायेगा तो क्या सोचेगा..”अचंभित करने वाली बात ये थी की चाची इस बार खुद को छुड़ाने के लिए मुँह से बोले शब्द के अलावा कोई कोशिश नहीं कर रही थी..















