उसने उन्हे सताने का एक तरीका निकाला..वो बोली : “लालाजी ..ऐसे हाथ सही से नही पड़ रहा…क्या मैं आपके उपर बैठ जाऊं ..”लालाजी की तो आँखे फैल गयी ये सुनकर… नेकी और पूछ -2… लालाजी ने तुरंत लंबी वाली हाँ कर दी… बस फिर क्या था, कामिनी किसी बंदरिया की तरह उछल कर उनके कूल्हों पर बैठ गयी… लालाजी तो जैसे जीते-जागते स्वर्ग में पहुँच गये…ऐसा गद्देदार एहसास तो उन्हे अपने जीवन में आजतक नही मिला था… ये कामिनी के वही कूल्हे थे जिन्हे इधर-उधर मटकते देखकर वो अपनी आँखे सेका करते थे… आज उसी डबल रोटी जैसी गांड से वो उनके चूतड़ों पर घिसाई कर रही थी…कामिनी ने अपनी टांगे मोड़ कर साइड में लगा दी और दोनो हाथो से उनकी पीठ को उपर से नीचे तक उस तेल से रगड़ने लगी.. XXX BF वैसे ये प्लानिंग किसी जंग से कम की लग भी नही रही थी… इतने सालों तक संभाल कर रखी जवानी का पहला सौदा बिना सोचे समझे नही करना चाहती थी वो दोनो…यहाँ एक बात जान लेनी आवश्यक है की चूत की खुजली के बारे में कामिनी ज़्यादा आगे थी… उसी का दिमाग़ इस तरह की बातों में ज़्यादा दौड़ता था… अपने माँ बाप का मूड भाँपकर वो रात भर सिर्फ़ उनकी चुदाई भरी आहें सुनने के लिए जागा करती थी…अपनी चूत को रगड़ कर वो जब तक दिन में















