ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.लंड चूत मे फतच-2 की आवाज़ मे अंदर बाहर होने लगा… मे झड़ने के बिकुल करीब थी… हम दोनो पसीने से भीग चुकी थी… अब मेरे चूत अपना लावा उगलने के लिए बिल्कुल तैयार थी… पर अचानक जेठ जी के धक्के बंद हो गये… शायद वो थक गये थे… अभी उनके लंड से पानी नही निकला था…मेरे से बर्दास्त नही हुआ… और मे अपनी गांद को ऊपेर की ओर उछाल कर वापिस अपनी चूत को लंड पर पटक -2 कर लंड चूत मे लेने लगी… जेठ जी ने मुझे इतना गरम होता देख… मुझे अपनी बाहों मे कस लिया… मे उनकी सीने से एक दम चिपक गयी… जिससे मुझे अपनी चूत मे लंड अंदर बाहर करने मे दिक्कत हो रही थी…पर चूत के आग इतनी बढ़ चुकी थी कि मेरे से रहा नही गया… और मेने अपनी कमर के नीचले हिस्से और गांद को ऊपेर नीचे करना चालू कर दिया… लंड एक बार पूरी रफ़्तार मे अंदर बाहर होने लगा… मेरी कमर का निचला हिस्सा और गांद ही ऊपेर नीचे हो रही थी… जिससे उनके लंड का घर्सन और भी बढ़ गया… और मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया… और मेरा बदन एन्थ गया और कुछ झटके खाने के बाद मे एक दम शांत पड़ गये… और जेठ जी की















