मुँह में तो डाल ही चुका हूँ, अब बस दो ही जगह बची हैं।” इतना कहकर अमर हँसने लगा। ”कुछ घण्टों बाद खुद ही देख लेना बेटा।” दोस्तों अभी कहानी बाकि है, आगे क्या हुआ रात में जानने के लिए कहानी का अगला भाग पढ़े…अपने दोस्तों के साथ शेयर करे- मुँह में तो डाल ही चुका हूँ, अब बस दो ही जगह बची हैं।” इतना कहकर अमर हँसने लगा। ”कुछ घण्टों बाद खुद ही देख लेना बेटा।” दोस्तों अभी कहानी बाकि है, आगे क्या हुआ रात में जानने के लिए कहानी का अगला भाग पढ़े…अपने दोस्तों के साथ शेयर करे- तुमने तो इनको अभी तक छुआ भी नहीं है, लो खेलो इनके साथ, दबाओ इनको, तुमको बहुत अच्छे लगते हैं ना, अपनी मम्मी के मम्मे?”अमर तो अपनी मम्मी से लण्ड को चुसवाकर ही अपने आप को धन्य समझ रहा था, उसको मेरे मम्मों के साथ खेलने का ख्याल ही नहीं आया था। उसने झट से मेरे मम्मों को अपनी हथेलियों में भरकर, उनको दबाना शुरु कर दिया।जब अमर मेरे निप्पल को मींजता तो मेरी आह निकल जाती। किसी मर्द से अपने मम्मों को दबवाते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था। अमर ने अपना लण्ड दोनों मम्मों के बीच रख दिया, और मजे से मेरे मम्मों को दबाने लगा और निप्प्ल के साथ खेलने लगा।मेरी चूत में आग लगी हुई थी, मेरी










