मेरे पति नें मेरे नितंबों के नीचे एक तकिया लगा दिया, अब नितंब ऊँचे भी हो गए और उनके मध्य की खाई अधिक मात्र में खुल गई.तुम लेट जाओ..मैं तुम्हारे लिंग को ठीक निशानें पर फंसा दूंगा, तुम जोर का धक्का मारना, और हाँ… पहली बार में थोडा दर्द होता है तुम घबरा मत जाना… उसके बाद खूब मजा आता है, मेरे पति ने मेरे भाई को समझाया. XXXBF उफ… ऊई… फिर हाँ मैं..उफ… मैं कह रही थी की आरुषी को मैं रसोई में ले गई. मैनें नादान बनते हुवे पूछा.तुम मेरे ही मुंह से सुनना चाहती हो… समझ तो गई हो… फिर भी मैं बताती हूँ तुम पीती हो लिंग रस… उसने इतना कहा और हंस पड़ी.हटो बदमाश… कितनी मुंह फट हो गई हो, चलो रसोई में चलते हैं मैनें उठते हुवे कहा.वह मेरे साथ खड़ी हो गई, उसने अपना हेंड बैग सोफे पर ही छोड़ दिया, वह मुझे आज पूरे रंगीन मूड में लग रही थी, इससे पूर्व भी मैनें उसके मजाक तो सुने थे लेकिन ऐसे हाव भाव नहीं देखे थे, रसोई में पहुंचते पहुंचते उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे कपोलों को चूम कर बोली-काश भाभी… मैं आपकी ननद नहीं बल्कि देवर होती… तुम्हारे यौवन की कसम इन दोनों कठोर पहाड़ों को पिस डालती और तुम्हारी जाँघों के भीतर अपने लिंग को तुम्हारी पसलियों तक पहुंचा















