मैं तुमको अपनी रसीली चूत दूंगी। तुम जितना चाहे मुझे चोद लेना पर प्लीस एग्जाम के पेपर मुझे लाकर दे दो।उस दिन शाम को जब उत्कर्ष सनी सर के स्टडी वाले रूम में गया तो वहां ताला लगा था। अब सबसे बड़ी दिक्कत थी की कैसे ताले की चाबी पायी जाई। सनी सर उस ताले की चाभी को अपने बिस्तर की तकिया की नीचे रखते थे। रात के १२ बजे उत्कर्ष अपने पापा [सनी सर] के कमरे में गया तो वो जोर जोर से खर्राटे मारकर सो रहे थे।अगर वो उत्कर्ष को चाभी चुराते पकड़ लेते तो उसे खूब पीटते। क्यूंकि वो बहुत सख्त मिजाज के टीचर थे और नकल करने वालों से ख़ासतौर पर नफरत करते थे। उत्कर्ष रात में दबे पाँव अपने पापा के कमरे में घुस गया और इन्तजार करता रहा। जैसे ही सनी सर से दूसरी तरफ करवट ली, उत्कर्ष ने उसकी तकिया के नीचे से चाभी निकाल ली और स्टडी रूम में घुस गया।उसे एक लिफाफा मिल गया जिसमे सनी सर ने सारे एग्जाम पेपर बनाकर सील करके रखे थे। उत्कर्ष ने एक चिमटी की मदद से वो सील उखाड़ दी और सारे पेपर्स की फोटो अपने मोबिइल से खीच ली। अब सारे पेपर्स उसके पास थे। सुबह उत्कर्ष मुझे कॉलेज में मिला।“क्यों उत्कर्ष काम हुआ???”“हाँ हो गया है, मैंने अपनी जान पर खेलकर तुम्हारे लिए ये















