भारतीय माँ की कड़ी चुदाई

क्या पता आप बुरा ही न मान जाओ।वो – नही नही आपका बुरा क्यों मानना। आप बोलो जो दिल में है।मैं – या फिर किसी जान पहचान वाले से गर्भ ठहरालो।मेरी बात सुनकर उसको एक दम झटका सा लगा। मैंने एक बार फिर सॉरी बोला। मेरा ये कहने का मकसद तुमसे फ्लर्ट करना नही है। बस महज़ एक दोस्त समझ लो, राय दी है।मेरी बात सुनकर कुछ पल के लिए वो शांत सी हो गयी। फिर बोली, “ये ख्याल मेरे दिल में बहुत बार आया है। लेकिन ऐसा कोई भरोसे वाला इंसान कहाँ मिलेगा।”हम ये बाते कर ही रहे थे के दो लोग और अपने बच्चो को छोड़ने आ गए तो हमने समय की नज़ाकत देखते हुए बात बदल ली और मैं घर आ गया। फिर 2 दिन बाद जब फिर अपने बेटे को उसकी ट्यूशन क्लास में छोड़ने गया तो अंकिता ने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर ले लिया। घर पे आकर मैं सामान लेने बाज़ार चला गया। वहां जाकर एक नए नम्बर से मुझे कॉल आया। जब मैंने उठाया तो सामने से एक जानी पहचानी सी आवाज़ आई। हलो, क्या मैं अखिलेश जी से बात कर सकती हूँ।मैं – हांजी, अखिलेश ही बोल रहा हूँ। आप कौन, माफ़ करना आपको मैंने पहचाना नही?वो – बस भूल भी गए, रोजाना तो हम ट्यूसन क्लास में मिलते है। मैं आशु की मैडम बोल

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