और उनसे चुदवाने लगी थी. मेरी बहन बहुत गजब की माल थी. XXXBF मेरी चुदासी आवारा माँ के दोनों आम ठीक उसी तरह हिल रहे थे जैसे आंधी चलने पर पेड़ में लगे आम जोर जोर से हिलते है.अंकल ने मेरी माँ की छोटी किसी छिनाल बाजारू रंडी की तरह पकड़ रखी थी. मेरे जीतेन्द्र अंकल अपने लौड़े में तेल लगाकर धार दे रहे थे. रोटी और दाल चावल खाते है, फिर आखिर क्यूँ उनको मेरी माँ के दूध पीने की जरुरत पड गयी.दूध तो वो लोग पीते है जिनके मुँह में दांत नही होते, फिर जीतेन्द्र अंकल को मेरी माँ के मस्त मस्त ३६ साइज़ के दूध पीने की जरूरत क्यूँ पड़ी. मेरा अंकल माँ को मार मार के चोद रहे थे. पीछे से गपा गप माँ की बुर में लौड़ा दे रहे थे. जब मैं जीतेन्द्र अंकल के कमरे पर पंहुचा तो खिड़की से मेरी नजर अंदर गयी. उसे भी जन्नत मिल रही थी. अब इसकी बुर के लिए बाहर से क्या लंड का इंतजाम करना आज ही इसे चोद देता हूँ!!’ अंकल बोले.















