खैर, मैं मन मारकर अपने लण्ड को हिलाता हुआ, जो अंदर चल रहा था वह अद्भूत दृश्य देखने में जुट गया। धर्मेन्द्र के दोनों हाथ सरिता को चरम सीमा रेखा पर पहुंचाने में ब्यस्त थे।सरिता की आँखें बंद थीं और वह पूरी तरह से धर्मेन्द्र के एक हाथ से उंगली चोदन और दूसरे हाथ से अपने स्तनों को जोश से दबवाने का उन्माद भरा आनंद अपनी आखें बंद कर महसूस कर रही थी। मुझे लगा की उसके बदन में अचानक जैसे कोई भूत ने प्रवेश किया हो ऐसे सरिता का बदन कांपने लगा।मैं अचम्भे में पड गया की यह सरिता को क्या हो गया। सरिता के मुंहसे आह… आह… निकलने लगी। सरिता जो कुछ समय पहले धर्मेन्द्र से भाग रही थी अब धर्मेन्द्र को चोदने के लिए बिनती कर रही थी।उस के मुंह से बार बार, “ओह… धर्मेन्द्र… आह… ओह… आह.. XXX Hindi हम्फ … उँह…” से प्रतिपादित हो रहा था।धर्मेन्द्र की शक्ल भी देखते ही बनती थी। वह आँखें मूंदे सरिता की चिकनाहट भरी गीली चूत में अपना मोटा लण्ड पेले जा रहा था। वह भी सरिता को चोदने का अद्भुत अनुभव का आनन्द ले रहा था। उसके हाथ सरिता के दोनों पके हुए फल सामान गोलाकार स्तनों को कस के दबा रहे थे। “Sexy Dehati Gori Chudi”सरिता के स्तनों को धर्मेन्द्र इतनी ताकत से पिचका रहा था जो उसकी उत्तेजना और आतंरिक















