भारतीय गरम कदम-परिवार वाली चुदाई

मै वही किनारे जाकर बैठ गया और काकी को घूरने लगा।काकी – बेटवा तेरी उंगली तो ठीक है ना.मै – हा काकी खून नही बह रहा लेकिन दर्द है.काकी – अरे बेटवा मेरी ही गलती है जो तुझ शहरी बाबू से फसल कटवाने जा रही थी.मै- नही काकी ऐसी बात नही है मै काट लेता फसल लेकिन ये चोट लग गई.और उठकर उनके सामने जाकर बैठ गया और उनकी चुचियो को खा जाने वाली नजरो से देखने लगा. XXXBF मै काकी के चुचियो को खा जानेवाली नजरो से देख रहा था लंड अपनी पूरी औकात मे आ गया था। काकी को पता चल चुका था लेकिन फिर भी वो अंजान बनकर फसल काटने मे लगी हुई थी। और मंद मंद मुस्कुरा रही थी।काकी – बेटवा कैसा है तेरी उंगली का दर्द?मै- ठीक ही है काकी.काकी – देख बेटवा हम जो भी काम करते है उसी पर हमारा ध्यान होना चाहिए।तू जब फसल काट रहा था तब तेरा ध्यान ही नही था इसलिए तुझे चोट लगी है।मै- काकी ऐसी बात नही है मेरा ध्यान था फसल काटने पर ही लेकिन अचानक ही उंगली पर लग गई।काकी – ठीक है बेटवा.(काकी का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था और चुचियो को देखकर मै भी गरम हो रहा था। काकी इस गरमी को भाप चुकी थी.)काकी – बेटवा मेरे करीब आकर बैठ जा (थोडी देर

भारतीय गरम कदम-परिवार वाली चुदाई

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