अब तो बेटा बेटा ना रहा, अब तो समझ ही नहीं आ रहा है क्या कहूँ, रोज चुदती हु, अपनी वासना की आग को शांत करती हु, पर ज़िंदगी बहुत ही अच्छी चल रही है.अपने दोस्तों के साथ शेयर करे- Maa Ka Sexy Jismवो दो साल में एक बार आते है, सब सुख है पर सिर्फ सेक्स से बंचित थी, क्यों की दो साल में सिर्फ १ महीने के लिए ही मैं रंगरेलियां मना पाती थी, बाकी ज़िंदगी तो सुखाड़ थी, किसी और से भी अगर सेक्स सम्बन्ध बना लू तो सकाज का डर फिर बाद में वो इंसान मुझे किस तरह से उसे करेगा, ये सब सोच के मैं बहकते बहकते बची, पर मेरा जिस्म मुझे बहका रहा था.जब भी रात को सोती थी तो मुझे दूसरे मर्दो का ख्याल आता था, और मेरे तन बदन में आग लग जाती थी, कभी कभी तो सेक्स की जवाला ऐसे धधकती थी, मैं बाथरूम में जाके ठन्डे पानी का सहारा लेना पड़ता था चूचियाँ तन जाती थी, चूत गरम हो के पिघलने लगती थी, और सच तो ये था की ये चार साल जब से मैं 35 की उम्र पार की.मेरे शरीर का बनावट और अच्छा हो गया था, गांड गोल गोल चूचियाँ बड़ी पर सुडौल, पेट और कमर सुराही की तरह, गोरी तो हु ही, अपने आप की मेंटेन करती थी किसी




