हा हा हा..” कर रही थी। मुझे पूरे बदन में सनसनी सी लग रही थी। कितना मजा मिल रहा था।मैं आप लोगो को बता नही सकती। दीपक मेरी गांड के भूरे छेद को अच्छे से चूसता रहा। फिर अपनी अपनी उगली को मुंह में लेकर गीला किया और होले होले मेरी कुवारी गांड में घुसा डाला। मैं पागल होकर …उंह उंह उंह करने लगी। दीपक अब चुदक्कड मर्द बन गया और मेरी गांड में ऊँगली अंदर बाहर करने लगा।मेरा बदन कांपने लगा। मुझे बड़ा अजीब सा यौवन वाला सुख मिल रहा था। दीपक बार बार ऊँगली घुसाता और फिर मुंह में लगाकर चाट लेता। इस तरह से हजारो बार उसने अपनी मोटी ऊँगली मेरी गांड में घुसा डाली और जो रस निकलता उसे मुंह में डालकर चूस जाता।“दीपक! XXX BF मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड की चूत दिलवा दो” दीपक बोला.दोस्तों दीपक भी कुछ कम हैंडसम मर्द नही था। वो 6 फुट लम्बा हट्टा कट्टा मर्द था और देखने में खूबसूरत दिखता था। दीपक अपनी पेंट खोलने लगा। जब बार बार निवेदन करता रहा तो अनिल तो दया आ गयी।“आओ भाई!! मम्मी…” करने लगी थी। मुझे अपने पैर खोलने पड़े। अनिल मेरी जवानी और चूत की सुन्दरता का कायल हो गया और मेरी चूत को जीभ घुमा घुमाकर चाटने लगा। मैं मचल रही थी।“और चूसो मेरे साजन!!” मैं कहने लगी.जब अनिल काफी देर तक चूत















