Rakhi Par Chudaiऔर जब मैं भाई को फ़ोन कर के बोली एक दिन पहले की कल सुबह आ रही हूँ राखी बांधने तो वो भी खुश हो गया। बोला आ जाओ दीदी एक दिन मजे करेंगे। मुझे लगा की राखी में कुछ करेगा बहन को घुमायेगा फिरायेगा। मार्किट जायेंगे मॉल जायेंगे यही सोचकर मैं भी खुश हो गयी और सुबह चार बजे की बस पकड़कर मैं दिल्ली के लिए रवाना हो गयी और 9 बजे भाई के कमरे पर पहुंच गयी।वो गोविन्दपुरी में रहता है। जब नौ बजे पहुंची वो सोकर उठा था तुरंत नहाया, मैं भी नहाई, बगल में ही अग्रवाल स्वीट से रसगुल्ले लेकर आई और फिर राखी बांध दी टिका लगा कर रसगुल्ला खिला कर। बदले में मुझे 1000 रूपये दिया। और गले लगाया।पर दोस्तों यही गलती हो गयी उसके गले लगाना और एक हलके से किस करना वो मैं बहन बनकर गले लगाई और प्यार से किस की थी। पर उलटा हो गया सबकुछ। जब मेरी बड़ी बड़ी और टाइट चूचियां उसके सीने से लगी की वो बौखला गया और घी में आग का काम किया मेरा किश।वो पागल हो गया मुझे बाहों में भर लिया और मेरी पीठ को सहलाने लगा। मेरी ब्रा के हुक को महसूस करने लगा और मेरे गर्दन पर अपना मुँह रख कर फील करने लगा मेरी जिस्म की खुशबु को। उसका लंड















