मुझे भी लगा की ठीक है, और मैं भी तैयार हो गई.एक दिन पहले ही फ़ोन आ गया था विकाश का की दीदी तुम तैयार रहना, करीब साढ़े दस बजे के करीब स्टेशन आ जाना, मैं तुम्हारा टिकेट भी बनवा दिया हु, तो बी १ में आ जाना सेकंड एसी में, मैं टाइम से पहुच गई. तब से आज तक किसी ने छुआ नहीं है.अब वो अपने जीभ को लपलपाने लगा और मेरी चुचिओं को घुर घुर देखने लगा, मैं समझ गई की आज मेरी दस साल की प्यास बुझने वाली है, मैं एक सेक्सी स्माइल दी, और उसके करीब आ गई और वो भी कपकपाते हाथ से मुझे पकड़ा और अपना होठ मेरे होठ पर रख दिया. XXX BF साइड ऊपर और लोअर बर्थ था, हम दोनों निचे बर्थ पर ही बैठ गए, करीब ९ बजे रात को हम दोनों ने खाना खाया और फिर बात चीत करने लगे, एक ही बेड पर होने की वजह से हम दोनों पैर को एक दुसरे से सटा कर बैठ गए.पर विकाश मेरे जांघ को अपने पैर से सहला रहा था, पहले तो थोड़ा ठीक नहीं लगा, फिर धीरे धीरे मुझे अच्छा लगने लगा, अब मैं अपना आँचल निचे कर दी, मेरी दोनों चूचियां ब्लाउज से बाहर आ रही थी क्यों की ब्लाउज का गला ज्यादा था.उसपर से मेरी चुचिया बड़ी बड़ी और गोल गोल और















